लिवर फंक्शन टेस्ट में बहुत सारे टेस्ट होते है

लिवर फंक्शन टेस्ट (Liver Function Test - LFT) एक प्रकार की ब्लड टेस्ट श्रृंखला है, जिसका उपयोग लिवर की कार्यक्षमता और स्वास्थ्य का मूल्यांकन करने के लिए किया जाता है। इसमें निम्नलिखित प्रमुख परीक्षण शामिल होते हैं:

1. बिलीरुबिन (Bilirubin): बिलिरुबिन का मतलब जानते है हिंदी में उसे पीलिया भी कहा जाता है हिंदी भाषाओं में जो लिवर पर बहुत इफेक्ट करता है इसमें 3 जांचे होती है

Total Bilirubin

Direct Bilirubin

Indirect Bilirubin 

होते है।

कुल बिलीरुबिन (Total Bilirubin): शरीर में बिलीरुबिन का कुल स्तर।

डायरेक्ट बिलीरुबिन (Direct Bilirubin): लिवर द्वारा प्रोसेस किया गया बिलीरुबिन।

इनडायरेक्ट बिलीरुबिन (Indirect Bilirubin): प्रोसेस से पहले का बिलीरुबिन।

2. प्रोटीन लेवल्स (Protein Levels):

एल्ब्यूमिन (Albumin): लिवर में बनने वाला एक प्रमुख प्रोटीन।

ग्लोब्यूलिन (Globulin): शरीर की इम्यून सिस्टम से जुड़ा प्रोटीन। होता है 

A/G रेशियो (Albumin/Globulin Ratio): एल्ब्यूमिन और ग्लोब्यूलिन का अनुपात। कर के देता है।

3. एंजाइम्स (Enzymes):

एएलटी (ALT - Alanine Transaminase): लिवर क्षति का संकेत। है इसे हिंदी में SGPT कहा जाता है जो लिवर बढ़ने पर ये जांच करनी पड़ती है इसका लेवल बढ़ जाने में पेट साफ नहीं होती है। और लिवर में दिक्कत होने लगती है 

एएसटी (AST - Aspartate Transaminase): लिवर और मसल्स की स्थिति का संकेत। इसे हिंदी में SGOT कहा जाता है ये भी लिवर के मसल को बढ़ता है और लिवर को भी इसकी लेवल बढ़ने पर दिक्कत होने लगता है

एएलपी (ALP - Alkaline Phosphatase): बाइल डक्ट और बोन से जुड़ा एंजाइम। ये भी लिवर फंक्शन में ही आता है

गामा-जीटी (GGT - Gamma Glutamyl Transferase): बाइल डक्ट की कार्यक्षमता का परीक्षण।

4. प्रोथ्रोम्बिन टाइम (Prothrombin Time - PT):

खून के थक्के जमने में लगने वाले समय का आकलन। करता है उसे PTINR के नाम से जांच करना पड़ता है


5. लैक्टेट डिहाइड्रोजेनेज (LDH):

लिवर सेल्स के डैमेज का संकेत होता है LDH की लेवल बढ़ने पर इन्फेक्शन जो होता ओ लिवर पर और पूरे शरीर में इंफेक्शन हो जाता है LDH से।


6. बाइल एसिड्स (Bile Acids): ये टेस्ट लिवर द्वारा उत्पादित बाइल एसिड्स की मात्रा। Bile Acids का जांच करा ले 

इन परीक्षणों के परिणाम लिवर की कार्यक्षमता, सूजन, संक्रमण, या किसी अन्य समस्या के बारे में जानकारी प्रदान करते हैं।

लिवर खराब होने पर समस्या होता है।

लिवर बढ़ने की समस्या (हेपाटोमेगाली) तब होती है जब लिवर का आकार सामान्य से बड़ा हो जाता है। यह किसी अन्य बीमारी या समस्या का संकेत हो सकता है। लिवर बढ़ने के कई कारण हो सकते हैं, और इसके परिणामस्वरूप शरीर में कई लक्षण और समस्याएँ हो सकती हैं।


लिवर बढ़ने के कारण:

1.फैटी लिवर: लिवर में अतिरिक्त वसा जमने से।

2.हैपेटाइटिस: लिवर में संक्रमण (वायरल हैपेटाइटिस A, B, C)।

3.अल्कोहल का अत्यधिक सेवन: लंबे समय तक शराब पीने से।

4.लिवर सिरोसिस: लिवर की कोशिकाओं का क्षतिग्रस्त होना।

5.हृदय संबंधी समस्याएँ: जैसे हार्ट फेल्योर।

6.कैंसर या ट्यूमर: लिवर या अन्य अंगों से फैलने वाला।

7.मेटाबॉलिक बीमारियाँ: जैसे वंशानुगत बीमारियाँ।

8.दवाओं का दुष्प्रभाव: कुछ दवाइयाँ लिवर को नुकसान पहुंचा सकती हैं।

लक्षण:

1.पेट के ऊपरी हिस्से में सूजन या दर्द।

2.भूख कम लगना।

3.वजन कम होना।

4.थकान और कमजोरी।

5.पीलिया (त्वचा और आंखों का पीला होना)।

6.अपच और पेट फूलना।

7.उल्टी और मतली।

परिणाम:यदि लिवर बढ़ने का इलाज न किया जाए, तो यह गंभीर बीमारियों का कारण बन सकता है, जैसे:

1.लिवर फेल्योर

2.पीलिया और एडिमा (शरीर में सूजन)

3.पेट में पानी भरना (एसाइटिस)

4.मस्तिष्क पर असर (हेपेटिक एन्सेफालोपैथी)

5.इलाज और बचाव:

6.समय पर जांच: लिवर की स्थिति जानने के लिए खून की जांच, अल्ट्रासाउंड या सीटी स्कैन।

7.दवा: डॉक्टर की सलाह से उपचार।

8.आहार सुधार:

9.वसा और तले हुए भोजन से बचें।

10.अधिक फाइबर और पौष्टिक भोजन खाएं।

11.अल्कोहल का सेवन बंद करें।

12.जीवनशैली में सुधार: नियमित व्यायाम और वजन नियंत्रण।

13.संक्रमण से बचाव: हेपेटाइटिस के टीके लगवाएं।

यदि लिवर बढ़ने के लक्षण नजर आएं, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। समय पर इलाज से स्थिति को बेहतर किया जा सकता है।

Sameerweiter 













0 Comments

Post a Comment

Post a Comment (0)

Previous Post Next Post