कोलेस्ट्रॉल(Cholestrol ) के बढ़ने से क्या दिक्कत होती है, आए जानते है बिस्तर से।
कोलेस्ट्रॉल के बढ़ने से शरीर में कई स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं, खासकर दिल और रक्त वाहिकाओं से संबंधित। उच्च कोलेस्ट्रॉल का मुख्य प्रभाव यह होता है कि यह रक्त वाहिकाओं में वसा का जमाव (प्लाक) बना सकता है, जिससे रक्त प्रवाह बाधित होता है। इसके परिणामस्वरूप निम्नलिखित समस्याएं हो सकती हैं:
1. हृदय रोग (Heart Disease)
कोरोनरी आर्टरी डिजीज (Coronary Artery Disease)
हार्ट अटैक (Heart Attack)
एंजाइना (Angina)
2. स्ट्रोक (Stroke)
जब प्लाक के कारण मस्तिष्क में रक्त प्रवाह बाधित होता है, तो स्ट्रोक हो सकता है।
3. हाई ब्लड प्रेशर (High Blood Pressure)
रक्त प्रवाह में बाधा होने से दिल को अधिक मेहनत करनी पड़ती है, जिससे उच्च रक्तचाप हो सकता है जो कोलेस्ट्रोल के लेवल अधिक होने लगती है।
4. पेरिफेरल आर्टरी डिजीज (Peripheral Artery Disease)
कोलेस्ट्रॉल के जमाव के कारण पैरों और बाहों में रक्त प्रवाह कम हो सकता है। जो दिल की धड़कन बढ़ने का संभावना रहता है।
5. गॉलब्लैडर की समस्या (Gallbladder Issues)
उच्च कोलेस्ट्रॉल से गॉलस्टोन यानी GB stone, इसका मतलब पीत की थैली में पथरी बनने का खतरा बढ़ जाता है।
6. डायबिटीज और मोटापा
कोलेस्ट्रॉल बढ़ने से मोटापा और टाइप 2 डायबिटीज का खतरा अधिक अस्तर में बढ़ सकता है।
कोलेस्ट्रॉल कम करने के उपाय:
स्वस्थ आहार:
फाइबर युक्त भोजन (जैसे फल, सब्जियां, साबुत अनाज) का सेवन करें।
सैचुरेटेड और ट्रांस फैट से बचें।
व्यायाम:
रोजाना 30-45 मिनट की शारीरिक गतिविधि करें।
धूम्रपान और शराब से बचाव:
इनसे कोलेस्ट्रॉल का स्तर और दिल की समस्याएं बढ़ सकती हैं। इसे सेवन करने से।
डॉक्टर की सलाह:
यदि आवश्यक हो तो दवाएं लें।
उचित जीवनशैली अपनाकर कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित किया जा सकता है और गंभीर समस्याओं से बचा जा सकता है।
कोलेस्ट्रॉल(Cholestrol)की लेवल कितना होना चाहिए:
कोलेस्ट्रॉल का स्तर स्वस्थ रहने के लिए एक निश्चित सीमा के भीतर होना चाहिए। इसके लिए लिपिड प्रोफाइल टेस्ट किया जाता है, जिसमें कुल कोलेस्ट्रॉल, एलडीएल (LDL), एचडीएल (HDL), और ट्राइग्लिसराइड्स(Triglycerides) के स्तर को मापा जाता है।
सामान्य कोलेस्ट्रॉल स्तर:
1. कुल कोलेस्ट्रॉल (Total Cholesterol):
< 200 mg/dL: सामान्य वैल्यू यानी नॉर्मल रेंज होता है
200-239 mg/dL: सीमा पर होता है (Borderline High)
≥ 240 mg/dL: उच्च (High) लेवल होता है।
2. एलडीएल कोलेस्ट्रॉल (LDL - "Bad" Cholesterol):
< 100 mg/dL: आदर्श (Ideal) सामान्य वैल्यू होता है।
100-129 mg/dL: सामान्य से थोड़ा अधिक होता है।
130-159 mg/dL: सीमा पर उच्च (Borderline High)
160-189 mg/dL: उच्च (High) लेवल होता है इतना रेंज रहे तो
≥ 190 mg/dL: बहुत उच्च (Very High) लेवल होता है।
3. एचडीएल कोलेस्ट्रॉल (HDL - "Good" Cholesterol):
> 60 mg/dL: अच्छा (Protective) नॉर्मल रेंज होता है।
40-59 mg/dL: संतोषजनक लेवल है।
< 40 mg/dL: कम (Low, जोखिम भरा) लेवल होता है अगर Low में जाए तो
4. ट्राइग्लिसराइड्स (Triglycerides):
< 150 mg/dL: सामान्य रेंज होता है।
150-199 mg/dL: सीमा पर उच्च (Borderline High) लेवल माना जाता है।
200-499 mg/dL: उच्च (High)
≥ 500 mg/dL: बहुत उच्च (Very High) लेवल माना जाता है। Triglycerides को कम करने के लिए तेली जैसी फास्ट फूड तेल मसाला कम करे।
स्वस्थ कोलेस्ट्रॉल बनाए रखने के लिए:
एलडीएल को कम करें: सैचुरेटेड और ट्रांस फैट से बचें।
एचडीएल बढ़ाएं: व्यायाम और हेल्दी फैट (जैसे एवोकाडो, नट्स) लें।
ट्राइग्लिसराइड्स कम करें: मीठे और प्रोसेस्ड फूड से बचें।
यदि आपके कोलेस्ट्रॉल का स्तर असामान्य है, तो डॉक्टर से परामर्श लें और उचित उपचार शुरू करें।
कोलेस्ट्रॉल बढ़ने के लक्षण:
अधिकांश मामलों में, कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ने से कोई स्पष्ट लक्षण नहीं होते हैं। इसे अक्सर "साइलेंट कंडीशन" कहा जाता है, क्योंकि व्यक्ति को तब तक इसका पता नहीं चलता जब तक यह गंभीर स्वास्थ्य समस्या जैसे हार्ट अटैक या स्ट्रोक का कारण न बने। हालांकि, कुछ संकेत और संबंधित लक्षण हो सकते हैं जो बढ़े हुए कोलेस्ट्रॉल का संकेत देते हैं:
संभावित लक्षण:
सीने में दर्द (Angina):
उच्च कोलेस्ट्रॉल के कारण हृदय की धमनियां संकीर्ण हो सकती हैं, जिससे सीने में दर्द या दबाव महसूस हो सकता है।
थकान और कमजोरी:
शरीर के अंगों और मांसपेशियों को पर्याप्त रक्त प्रवाह न मिलने से लगातार थकान महसूस हो सकती है।
पैरों और हाथों में झनझनाहट या ठंडक:
रक्त प्रवाह बाधित होने के कारण हाथ-पैर सुन्न या ठंडे हो सकते हैं।
त्वचा पर पीले धब्बे (Xanthomas):
आंखों, घुटनों, कोहनी, या हाथों के आसपास पीले वसा के जमा होने के रूप में यह दिख सकता है।
सांस लेने में कठिनाई:
अगर दिल को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिलती है, तो सांस लेने में दिक्कत हो सकती है।
मोटापा और वजन बढ़ना:
बढ़े हुए कोलेस्ट्रॉल का संबंध अक्सर मोटापे और खराब आहार से होता है।
उच्च रक्तचाप (High Blood Pressure):
रक्त वाहिकाओं में प्लाक जमा होने से रक्तचाप बढ़ सकता है।
गंभीर परिणाम:
हार्ट अटैक
स्ट्रोक
पेरिफेरल आर्टरी डिजीज
नियमित जांच क्यों आवश्यक है?
चूंकि कोलेस्ट्रॉल बढ़ने के लक्षण स्पष्ट नहीं होते, इसलिए नियमित रूप से लिपिड प्रोफाइल टेस्ट कराना आवश्यक है। होता है। अपने आस पास पैथोलॉजी पर जाए विशेष रूप से यदि आपके परिवार में हृदय रोग का इतिहास हो, तो अधिक सतर्क रहने की आवश्यकता है।
यदि आप इनमें से कोई भी लक्षण अनुभव करते हैं या उच्च कोलेस्ट्रॉल के बारे में चिंतित हैं, तो डॉक्टर से परामर्श करें। और डॉक्टर को दिखाए।
Post a Comment